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बचपन

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गिल्ली डंडा खेलते बच्चो की किलकारियों  से गूँजती वो मैदान न जाने कब सुनी हो गयी! बरसात की बारिस से बढ़ते बाढ़ से आये  नदियों में बहती नाव न जाने कहा डूब गयीं! ठंडी में अगेठे को घेरकर दादी नानी की वो कहानिया सुनने की तो जैसे आज रिवाज ही खत्म हो गयी! गर्मी की दोपहर तेज़ धूप में उस आम के पेड़ के नींचे खड़े होकर  मैन इसे पहले देखा है ये मेरा आम है सुने तो जैसे वर्षो बीत गयी! कुलदीप पटेल

माँ

*माँ* की ख़्याईसो की कत्ल से बेटे के चेहरे की मुस्कान बनती है! माँ की सर की बोझ से बेटे की  जिंदगी आसान लगती है! उसे रहना नसीब न हो जिंदगी के अंतिम पड़ाव में भले ही मगर माँ के तिनका तिनका से ही बेटे की मकान बनती है! देख बेटे की मुस्कान कर लेती हैं अश्को से समझौता! अश्क  भी ठहर जाते हैं,  देखकर  माँ की उत्सुकता! अपने  गमो  को  किसी से  जाहिर करे भी वो कैसे! एक वही तो है उसकी खुशियो की वजह  एकलौता! देख बेटे का  उलझा हुआ चेहरा माँ जबाब बन जाती है! नींद आती नही जो  कभी, तो माँ ख्याब बन जाती है ! दुनिया  की  सबसे बड़ी दौलत  मोहब्बत से नवाजकर माँ साक्षात  ममता  की मूरत की किताब बन  जाती है! हो तेज़ धूप या हो पैरो में छाले हर मुश्किल में खड़ी रहती है हो तेज़ बारिस, या हो कड़क ठंड हर पल माँ बनी रहती है! हो जिंदगी का इम्तिहान, या हो बदलता मौसम-ए-मिजाज सितम सारे सहकर माँ, हर स्थिति में हर पल डटी रहती है! ✍ *कुलदीप पटेल* 🖋के•डी

माँ

माँ मैं बड़ा होकर तेरा सहारा बनूँगा, तेरा बेटा जग में सबसे प्यारा बनूँगाl तेरी हर कमी को पूरा कर एक दिन, तेरे अंधियारे जीवन का उजियारा बनूँगाl तेरे संस्कार का परचम माँ जग देखेगा, तेरी पूजा करूँगा मैं,कि रब देखेगाl रखूंगा कदम उच्च शिखर पर एक दिन, कि हर आने बाला मेरा पग देखेगाl तेरे आँचल को कभी नहीं भीगने दूंगा, तेरे ख्वाबों को कभी नहीं टूटने दूंगाl है इस जग में मेरी माँ तू ही बस एक, खुद से कभी नहीं तुझे रूठने दूंगाl मुझसे तेरा हर अरमान मुकम्मल होगा, हँसता-मुस्कुराता हुआ तेरा पल होगाl आशीष बनाये रखना तू सदा मुझ पर, आज से बेहतर आने वाला कल होगाl जीत सकूँ नहीं जग की दौलत,तेरे दिल में जगह मिले, करूँ गलतियाँ जितनी भी,हर गलती की सजा मिलेl बनकर तेरा सेवक संग तेरे बर्ताव करूँ मैं ऐसा, कि बाद फ़ना होने के जीने की वजह मिलेll माँ बस इतनी जुस्तजू रखना तू,ऊँचा तेरा नाम करूँ, रहे आशीर्वाद तेरा,होकर बड़ा जग में ऐसा काम करूँl है सदा चलूँ मैं सच के पथ पर,कठिन परिश्रम कर, नहीं किसी का दिल दुखे,नहीं किसी का कष्ट बनूँll                            कुलदीप पटेल